धार्मिक ग्रंथों से लेकर इतिहास की पोथियों तक दुनिया में हुए महासंग्रामों की कहानियाँ जहां भी दर्ज हैं, उनके मूल में ज़मीन का सवाल ही सबसे अहम है. जमीन का वही सवाल, जिसे समय रहते अगर सुलझाया नहीं जाता तो इसके परिणाम हमेशा ही घातक होते हैं. जमीन का ऐसा ही एक अहम सवाल इन दिनों उत्तराखंड में भी पूछा जाने लगा है. ये सवाल है कि आख़िर उत्तराखंड में एक सख़्त भू क़ानून क्यों नहीं है? ये सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि देश के अन्य पहाड़ी राज्यों ने तो अपने पुरखों से विरासत में मिली जमीन को भूमाफ़ियाओं से बचाने के प्रबंध किए हैं, लेकिन उत्तराखंड में जमीन की लूट-खसोट पर लगाम लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है. यहां जो व्यवस्था थी भी, उसे भी पिछली सरकार ने खत्म करते हुए ज़मीनों की लूट के सभी दरवाज़े खोल दिए हैं. उत्तराखंड में भू क़ानून की क्या व्यवस्थाएँ हैं, इस लचर भू व्यवस्था के दोषी कौन लोग हैं और उत्तराखंड के लिए एक आदर्श भू क़ानून कैसा होना चाहिए, देखिए व्याख्या के इस एपिसोड में.