मणिपुर से आए एक विडिओ ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. ये वाइरल विडिओ इतना वीभत्स है कि मानव सभ्यता के किसी भी दौर में जो सबसे क्रूर और अमानवीय कृत्य हो सकता है, वो घिनौना कृत्य इसमें होता हुआ दिख रहा है. हथियारों से लैस सैकड़ों की हिंसक भीड़ कुछ महिलाओं को निर्वस्त्र कर खदेड़ते हुए बढ़ी चली जा रही है. ये वीडियो जितना क्रूर और निर्मम है, उससे कहीं ज़्यादा क्रूर इसके पीछे की वो कहानी है जो हमारे समाज और शासन व्यवस्था का भद्दा चेहरा उजागर करती है. क्योंकि ये वीडियो हाल का नहीं बल्कि करीब ढाई महीने पुराना है और शासन-प्रशासन के संज्ञान में होने के बावजूद भी इस वीभत्स अपराध में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई.
इस मामले में पहली गिरफ़्तारी भी तब जाकर हुई जब इस घटना का ये वीडियो वायरल होने लगा और देश-विदेश में सरकार की थू-थू होनी शुरू हुई. ये बात अब स्पष्ट तौर से सामने आ गई है कि इस भयावह अपराध की पूरी जानकारी स्थानीय पुलिस को थी. ये घटना उनके सामने हुई थी. इसके बाद भी न तो इस पर स्थानीय पुलिस ने कोई कार्रवाई की, न मणिपुर सरकार ने इसका संज्ञान लिया और न ही केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से इतनी वीभत्स घटना हो जाने के बाद भी कोई ठोस कदम उठाया गया.
मणिपुर की इस घटना के बाद अगर समय रहते सरकारें हरकत में आई होती तो वो पूरा प्रदेश इस कदर नहीं जला होता, डेढ़ सौ से ज़्यादा लोगों की जानें नहीं गई होती और 60 हजार से ज़्यादा लोगों को बेघर न होना पड़ता. मणिपुर में आख़िर हालात इतने ख़राब क्यों हो गए, क्या है वहाँ की हिंसा का इतिहास, क्यों इस हिंसा के लिए सरकार को दोषी ठहराना क़तई ग़लत नहीं है और अन्य राज्यों समेत विशेष तौर से उत्तराखंड के लिए मणिपुर के क्या सबक़ हो सकते हैं, देखिए आज की व्याख्या में.