क्रिकेट. एक खेल जिसकी दीवानगी इसे खेल से बढ़कर कुछ और बना देती है. यहां तक कहा जाता है कि ‘भारत में क्रिकेट भी एक धर्म है और खिलाड़ी इसके भगवान.’ गली-कूचों से लेकर पहाड़ी खेतों तक, घर के आँगनों से लेकर बड़े मैदानों तक और गांव-क़स्बों से लेकर महानगरों तक, भारत में क्रिकेट omnipresent है और इसका जादू omnipotent. इस जादू का ही असर है कि देश के करोड़ों बच्चों की आँखों में एक दिन भारतीय टीम में शामिल हो जाने का सपना पलता है और इस सपने के इर्द-गिर्द पनपता है बाजार. क्रिकेट का वो बाजार जो देश के स्पोर्ट्स मार्केट के 85% हिस्से पर एकाधिकार रखता है. यानी देश में स्पोर्ट्स का जो पूरा बाजार है, उसमें से 85% सिर्फ़ इसी एक खेल का है. ये व्यापार है सालाना 42 हजार करोड़ का. इतना पैसा जब आता है तो क्रिकेट के खेल को करप्शन का खेल बनते देर नहीं लगती. यह कहानी करप्शन के इसी खेल की कहानी है जो बीते कुछ सालों से क्रिकेट के नाम पर उत्तराखंड में खेला जा रहा है.