पहाड़ में मौळ्यार यानी बसंत आ गया है. मौळ्यार यानी घाव ठीक होने का मौसम. स्वाभाविक ही ये खुशी की ऋतु है. कुदरत इस समय चारों ओर ऐसी सुंदरता बिखेर देती है कि हर किसी के भीतर उमंग की हिलोर उठने लगती है. शीत अगर मृत्यु की शांति है तो बसंत यौवन की खदबदाहट. इस मौसम में सोई हुई प्रकृति जागकर निखर उठती है. हर तरफ रंग और खुशबू बिखर जाती है. उत्तराखंड में बसंत के गीत इन्हीं बदलावों की अभिव्यक्ति हैं.