दून वैली के संरक्षण का विशेष क़ानून भी स्वाहा

  • 2025
  • 14:02

तातु दूध बल न थूकेंदु अर न घुटेंदु! प्रेम चंद अग्रवाल के विवादित बयान वाले मामले में प्रदेश सरकार की स्थिति कुछ ऐसी ही बन गई है. पहाड़ी क़स्बों से लेकर देहरादून तक और दिल्ली से लेकर मुंबई तक उत्तराखंडी लोग उनके ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं और उन्हें मंत्री पद से हटाने की लगातार मांग हो रही है. बीते शनिवार और रविवार देहरादून में दो बड़े प्रदर्शन हुए जिसमें उत्तराखंड क्रांति दल, भू क़ानून संघर्ष समिति, बेरोज़गार संघ, पूर्व सैनिक संगठन और कुछ अन्य संगठनों के लोग भी शामिल थे. इन प्रदर्शनों में शामिल लोगों का कहना है कि जब तक मंत्री प्रेम चांद अग्रवाल को बर्खास्त नहीं किया जाता, प्रदर्शन जारी रहेंगे. मंत्री जी से इस्तीफ़ा मांग रहे लोग शायद भूल रहे हैं वो जमाने लद चुके हैं जब नैतिकता के आधार पर मंत्री इस्तीफ़ा दिया करते थे. अब तो सरकारी तंत्र का हाज़मा इतना कमाल का हो चुके है कि नैतिकता तो छोड़िए, सीधा-सीधा घोटालों और भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद भी इस्तीफ़े नहीं होते, सरकार सब कुछ पचा जाती है. इसी सरकार में जब एक मंत्री के ख़िलाफ़ आय से अधिक सम्पत्ति का मामला आया तो सरकार ने इस्तीफ़ा माँगना तो दूर, मुक़दमा चलाने की अनुमति तक नहीं दी. फिर प्रेम चंद अग्रवाल ने तो सिर्फ़ एक टिप्पणी ही की है जो उस टिप्पणी से भी कहीं कम अश्लील है जो भाजपा नेता कुंवर प्रणव चैम्पीयन ने उत्तराखंड पर की थी और फिर भी भाजपा ने उन्हें ससम्मान पार्टी में वापस लेते हुए उनकी पत्नी को टिकट भी दे दिया था. मौजूदा सरकार शायद यही सोच रही है कि जब उत्तराखंड की देवतुल्य जनता ने कुंवर प्रणव की गाली पचा ली तो प्रेम चंद अग्रवाल की गाली भी वो पचा ही लेगी. इसीलिए शुरुआत में तो भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने पूरी निर्लज्जता से उन्हें डिफ़ेंड भी किया. लेकिन अब जैसे-जैसे प्रदर्शन तेज हो रहे हैं सरकार बौग मारने वाले मोड में आ रही है. जैसे कुछ हुआ ही न हो. ऐसे में अक्सर वक्त के साथ मुद्दे ठंडे पड़ ही जाते हैं. ठीक वैसे ही जैसे आय से अधिक सम्पत्ति वाला मामला ठंडा पड़ गया, मंत्रिमंडल यथावत बना रहा और जनता को बुथ्याने के लिए नए जुमले बाजार में उछाल दिए गए.

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