अपना उत्तराखंड अमूमन दो ही वजहों से राष्ट्रीय सुर्ख़ियों में जगह बनाता है. एक तो यहां होने वाले घोटाले और दूसरा यहां आने वाली आपदाएँ. बीते हफ़्ते भी उत्तराखंड की चर्चा इन्हीं दो कारणों से बनी रही. उद्यान घोटाले में कार्रवाई कुछ आगे बढ़ी तो NH 74 घोटाले में सफ़ेदपोश वैसे ही मुस्कुराते हुए निकल आए जैसे अक्सर सरकारी घोटालों में निकल ही आते हैं. इन घोटालों पर अभी विस्तार से बात करेंगे. पहले बात करते हैं प्रदेश के कुछ सबसे दुखद पहलुओं पर. वो पहलू जो ये तक सोचने को मजबूर करते हैं कि क्या उत्तराखंड की अवधारणा, एक पूरी तरह से विफल हो चुकी अवधारणा साबित हुई है?