उत्तराखंड: भू-क़ानून में फेल और बयानबाज़ी का खेल

  • 2024
  • 13:21

बीते हफ़्ते देहरादून में एक ऐसी वारदात हुई जिसने राज्य की क़ानून व्यवस्था पर एक बार फिर से प्रश्न चिह्न लगा दिए. बीती 16 जून की रात रायपुर थाना क्षेत्र में रहने वाले रवि बडोला की कुछ लोगों ने गोली मार कर हत्या कर दी. उनके दो साथी, मनोज नेगी और सुभाष क्षेत्री भी इस गोली बारी में घायल हुए. ये घटना उस देहरादून शहर में हुई है जहां नेताओं और मंत्रियों से लेकर तमाम IAS, IPS, VIP और VVIP लोगों का जनसंख्या घनत्व प्रदेश में सर्वाधिक है. सब्बी धाणी देरादून वाले इस शहर में पूरा सरकारी महकमा तैनात होने के बाद भी अगर यहाँ अपराधियों के हौंसले इतने बुलंद हैं कि वो खुले-आम हत्या करने से भी नहीं घबरा रहे तो प्रदेश की क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं. अभी कुछ हफ़्ते पहले ही हमने एक्स्ट्रा कवर में आपको कुख्यात गुप्ता बंधुओं की कहानी बताई थी. वही गुप्ता बंधु जो पूरे दक्षिण अफ़्रीका की मवासी घाम लगाने के बाद जब भारत लौटे तो उत्तराखंड सरकार ने उनके लिए रेड कार्पेट बिछाया. उन्हें VIP सुरक्षा दी गई और औली के संवेदनशील बुग्याल उनके आलीशान समारोह के लिए बिछा दिए गए. यही गुप्ता बंधु अब देहरादून के चर्चित बिल्डर सत्येंद्र साहनी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोप में गिरफ़्तार हुए हैं. लेकिन अहम सवाल है कि ऐसे कुख्यात लोगों के लिए आख़िर देहरादून सबसे मुफ़ीद ठिकाना कैसे, क्यों और किसके संरक्षण में बनता जा रहा है? ये सवाल हालिया घटना के बाद इसलिए दोबारा प्रासंगिक हो उठा है क्योंकि रवि बडोला की हत्या में भी मुज़फ़्फ़रनगर के हिस्ट्री शीटर रामवीर का नाम सामने आया है. रामवीर इससे पहले भी देहरादून में दो अलग-अलग हत्याओं में शामिल रहा है और जेल भी जा चुका है. ऐसा अपराधी देहरादून में न सिर्फ़ खुले-आम घूमने और रंगदारी करने की हिम्मत रखता है बल्कि एक और हत्या को अंजाम देने का दुस्साहस करता है. ये ठीक है कि इस मामले के सभी आरोपितों को पुलिस ने अलग-अलग जगहों से गिरफ़्तार कर लिया है लेकिन ऐसे कुख्यात अपराधियों का देहरादून में संरक्षण पाना और लगातार दुस्साहसी होता जाना यहां की क़ानून व्यवस्था पर कई गम्भीर सवाल खड़े करता है.

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