साल 2012 में हुई किरण नेगी की हत्या के आरोप में जिन तीन दोषियों को दिल्ली की निचली अदालत और दिल्ली हाई कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, उन्हें कल यानी 7 नवंबर के दिन सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से देश भर में आक्रोश भी है और हैरानी भी. देश की सबसे बड़ी अदालत ने आख़िर उन लोगों को क्यों माफ़ कर दिया जिनके बारे में दिल्ली कोर्ट ने यहां तक कहा था कि ऐसे शिकारियों का खुला रहना ख़तरनाक है और इनके अपराध की सज़ा सिर्फ़ फांसी ही है. सुप्रीम कोर्ट के इस हालिया फैसले को समझने की शुरुआत किरण नेगी हत्याकांड के घटनाक्रम को समझने से करते हैं.