उत्तराखंड में बीते कुछ सालों में सांप्रदायिक हिंसा की कई घटनाएं हुई हैं. अक्सर ऐसी घटनाओं के पीछे ‘लव जिहाद’ की बात कही जाती है लेकिन आज तक प्रदेश सरकार एक भी ऐसे गिरोह को नहीं पकड़ सकी है जो इस तरह के किसी सांगठनिक अपराध में शामिल हो. तो क्या ये सिर्फ़ साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की एक साज़िश है?