इस हफ़्ते भी अपना उत्तराखंड यूं तो उन्हीं सब छुईं-बातों के चलते सुर्ख़ियों में रहा जो एक तरह से यहां सनातन हो चुकी हैं. वही छुईं जिनके बारे में नेगी दा बरसों पहले कह चुके हैं कि कख लगाण छुईं अर कैमाँ लगाण छुईं, रीता कूडों की, तीसा भांडों की, बगदा मनख्यूं की, रडदा डाँडों की…. ऐसे कई वीडियो इस हफ़्ते सामने आए जिनमें पहाड़ के पहाड़ उसी तरह भरभरा के टूटते हुए दिखे जैसे उत्तराखंड आंदोलनकारियों के सपने राज्य निर्माण के बाद से लगातार टूट रहे हैं. कई गांव इस बरसात में भू-स्खलन की चपेट में आए, कई जगह लोगों की जान तक चली गई, नदियाँ अपने उफान पर नजर आई और राज्य में कुल 121 मार्ग आज भी बंद पड़े हैं. आपदा बन कर बरस रही बरसात के कई वीडियो इस बीच वायरल हुए. लेकिन बात शुरू करते हैं एक अन्य वायरल वीडियो से जिसमें उत्तराखंड पुलिस है, सूट-केस थामे एक व्यक्ति है और ढोल बजाते हुए मुनादी के साथ एक कथित ‘गुंडे’ को देहरादून से ज़िला-बदर किया जा रहा है. ज़िला-बदर करना यानी ज़िले से तड़ीपार करना. और आसान शब्दों में कहें तो किसी व्यक्ति को एक सीमित अवधी के लिए उस ज़िले की सीमा से बाहर करते हुए उसका ज़िले में प्रवेश प्रतिबंधित कर देना. ऐसा अमूमन ‘गुंडा नियंत्रण अधिनियम, 1970’ के अंतर्गत किया जाता है जिसे आम भाषा में गुंडा ऐक्ट या गुंडा अधिनियम भी कहते हैं. इस अधिनियम के अंतर्गत उन लोगों को ज़िला-बदर किया जाता है जिनसे शांति भंग करने, दंगा भड़काने, क़ानून व्यवस्था में ख़लल पैदा करने आदि का खतरा हो. हालाँकि इस ऐक्ट के अलावा कई बार न्यायालय भी किसी व्यक्ति को ज़िले या राज्य से तड़ीपार करने के आदेश दे सकता है. जैसे एक जमाने में मौजूदा गृह मंत्री अमित शाह को उन्हीं के गृह राज्य गुजरात से हाई कोर्ट के आदेश पर तड़ीपार कर दिया गया था ताकि वो अपने ख़िलाफ़ चल रहे मुक़दमों को प्रभावित न कर सकें. बहरहाल, उत्तराखंड के हालिया मामले में ये आदेश देहरादून के ज़िलाधिकारी कार्यालय से जारी किए गए हैं और जिन व्यक्ति के ख़िलाफ़ ये आदेश जारी हुए हैं, उनका नाम है विकेश नेगी. DM देहरादून ने विकेश नेगी को ज़िला बदर करने का जो आदेश जारी किया है उसके अंत में उन्होंने लिखा है कि ‘विपक्षी यानी विकेश नेगी एक शातिर क़िस्म का अपराधी है और वर्तमान में सक्रिय है, तथा आम जनमानस में अभियुक्त विकेश नेगी का भय व्याप्त है, इसलिए विपक्षी को गुंडा अधिनियम के अंतर्गत जनपद की सीमाओं से निष्कासित किया जाना आवश्यक है.’